शिव महापुराण की कथा कहती है आज का जो समय है वही सबसे अच्छा है, अच्छे काम के लिए कल का इंतजार मत करो – पंडित प्रदीप मिश्रा

भारी गर्मी के बावजूद लगभग 2 लाख भक्तजनों ने सुनी शिव महापुराण की कथा
कुरूद। कुरूद में आयोजित शिव महापुराण के पंचम दिवस पर भारी गर्मी के बीच भक्तजनों की भारी भीड़ पंडित प्रदीप मिश्रा को सुनने उमड़ पड़ी। जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की धर्मपत्नी कौशल्या देवी प्रतिदिन की तरह आज भी उपस्थित रही। श्रीधर शर्मा परिवार द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा में कुरूद विधायक अजय चंद्राकर भी स पत्नी प्रतिदिन अपनी उपस्थिति दे रहे हैं। यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं के लिए दानदाताओं द्वारा भंडारे का आयोजन भी रखा गया है।

शिव महापुराण की कथा कहती है आज का जो समय है, जो पल है, वही सबसे अच्छा है अच्छे काम के लिए कल का इंतजार मत करो — शिव महापुराण की कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने समय की महत्व को बतलाते हुए कहा कि परमात्मा जो समय हमें देता है वह हमारे लिए श्रेष्ठ है। हमें प्राप्त होने वाला यह समय, यह पल, यह घड़ी, यह क्षण, जब चला जाता है तब हमें ज्ञात होता है कि हमने क्या गंवा दिया है, हमने क्या गलत किया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ध्यान दें बचपन और जवानी महत्वपूर्ण है, बचपन और जवानी जब चली जाती है तब पता चलता है कि हमने क्या खोया है। बचपन जिसमें हमें थोड़ी सी संस्कारों की जरूरत होती है और जब जवानी आती है तो उसमे हमें थोड़ा संभालने की जरूरत होती है और जो समय हमें परमात्मा ने दिया है उसे साधने की जरूरत होती है। ये तीनों जब चले जाते हैं, समाप्त हो जाते हैं तब हमें पता चलता है कि हमने बहुत कुछ बर्बाद कर दिया है।

उन्होंने कहा कि 14 वर्ष के वनवास के बाद मालूम पड़ा कि सोने का मृग तो होता ही नहीं है। हम अपनी पूरी जिंदगी यह सोचते हुए बिता देते हैं कि अच्छा समय अब आएगा और तब आएगा। हम अच्छे समय का इंतजार करते रहते हैं और अच्छा समय आता ही नहीं है। जबकि आज जो आपको समय मिला है वही आपके लिए अच्छा समय है। हमको मिला बचपन हमारा ताजा है और हमको मिली जवानी हमारी ताजी है इसे अच्छे काम में लगाना चाहिए । उन्होंने शिव भक्तों की पहचान बताते हुए कहा कि जितने भी शिव भक्त होते हैं वे सरल और सहज होते हैं। शिव महापुराण की कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव भक्तों के द्वारा प्रेषित पत्रों का वाचन भी किया।

जब पंडित प्रदीप मिश्रा की आंखों से छलक पड़े आंसू
इस कथा के दौरान जब एक भक्त द्वारा आंख की ज्योति आने की बात पत्र द्वारा बताई गई तो उसे भक्त को गले लगाने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा कुछ देर के लिए भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़ा। जब वे अपने शॉल से अपने आंसू पोंछ रहे थे उस क्षण को देखकर सभी श्रद्धालु भी भावुक हो उठे। कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने और भी श्रद्धालुओं के पात्रों का वाचन किया और शिव की महिमा बतलाइए। उन्होंने कहा कि शंकर के पास जाओगे तो दुख कटेगा ही कटेगा।

लोक सनातन धर्म को छोड़कर क्यों दूसरे धर्म में चले जाते हैं
शिव महापुराण की कथा के दौरान एक पत्र पंडित प्रदीप मिश्रा को ऐसा भी प्राप्त हुआ जिसमें किसी भक्त ने लिखा था कि कुरूद की इस शिव महापुराण की कथा में पानी के बोतल को₹60 से ₹100 तक में बेचा जा रहा है, वही कुछ पार्किंग वालों द्वारा₹50 से ₹300 तक पार्किंग शुल्क वसूल किया जा रहा है। इस बात से पंडित विजय मिश्रा बहुत दुखी हुए, उन्होंने कहा कि शिव महापुराण को कमाई का जरिया मत बनाइए। उन्होंने कहा इन्हीं हरकतों के कारण कुछ लोग सनातन धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म में चले जाते हैं। साथ ही उन्होंने कहा जरा सोचिए कि लोग अपना धर्म छोड़कर दूसरे धर्म में क्यों चले जाते हैं। इसके कारणों को समझना होगा।

तुम्हारे पाप का कोई हिस्सेदारी नहीं होता – शिव महापुराण की कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा की याद रखिए आपके अच्छे कामों का फल आपको मिलेगा और आपके बुरे कामों का फल आपको ही प्राप्त होगा। बुरे काम करने पर आपको प्राप्त होने वाला पाप का हिस्सेदार कोई और दूसरा नहीं होगा । आपको अपनी मेहनत खुद करना है अपने काम खुद करने पड़ते हैं कोई दूसरा आपका काम नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि आपका दुख महादेव के अलावा और कोई और नहीं हर सकता रोना हो तो परमात्मा के द्वार पर जाकर रोइए । किसी के पास जाकर कभी मत रोइए कोई आपका दुख कम नहीं कर सकता ।

एक शिव भक्त ब्रम्हचित की कथा सुनाते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि  एक बार एक शिव भक्त ब्रम्हचित बहुत परेशान होकर शिव मंदिर में जाकर शिवजी की शिवलिंग से लिपटकर बहुत रोने लगा तो उन्होंने बजरंगबली को कहा की बजरंगबली देखो मेरा भक्त क्यों रो रहा है पता करो । जब बजरंगबली ने पता किया और उन्हें पता चला कि उसे भक्त पर शनि परेशान कर रखा है उसपर उनकी कुदृष्टि पड़ी है। जब बजरंगबली शनि देव को पकड़ने के लिए उन्हें खोजते हुए आगे बढ़ते हैं तो शनि उनसे डर कर भागते हुए स्त्री का रूप धारण कर साड़ी पहनकर शिवजी के मंदिर के द्वार पर बैठ जाते हैं।

उन्होंने बताया कि जब बजरंगबली शिव मंदिर के द्वार पर पहुंचते हैं तो शनि डर के मारे बजरंगबली का पैर पकड़ लेते हैं और कहते हैं मुझे माफ कर दो। तब बजरंगबली ने शनि को कहा कि आप मुझे एक वचन दीजिए जो भी व्यक्ति शंकर के मंदिर में जल चढ़ाने आएगा उसके पूरे परिवार पर शनि की कभी भी नजर नहीं पड़ेगी। तो शनि ने बजरंगबली को वचन दिया। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा की जो भी व्यक्ति शिव मंदिर में जल चढ़ाने जाएगा उसके परिवार पर कभी भी शनि की कुदृष्टि नहीं पड़ेगी।

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