रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा संचालित उल्लास कार्यक्रम ने एक बार फिर प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। एनसीईआरटी के आधिकारिक चौनल पर आज इस कार्यक्रम की उपलब्धियों और नवाचारों पर आधारित प्रभावशाली प्रस्तुति प्रसारित की गई। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं असिस्टेंट डायरेक्टर प्रशांत पांडेय ने विशेषज्ञ वक्ता के रूप में आधे घंटे का सशक्त और प्रेरणादायक प्रस्तुतीकरण दिया, जिसका संचालन एनसीईआरटी की एंकर हरप्रीत कौर ने किया।
नोडल अधिकारी एवं असिस्टेंट डायरेक्टर प्रशांत पांडेय ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में तथा स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के संचालक के सतत निर्देशन में प्रदेशभर में उल्लास कार्यक्रम के अंतर्गत उल्लेखनीय कार्य हो रहे हैं। रायपुर और दुर्ग में निर्मित साक्षरता चौक, उल्लास रथ, रैली, गीत, शपथ, लाइव प्रदर्शनी, और नारा लेखन जैसे अभिनव प्रयासों से पूरे प्रदेश में साक्षरता की नई अलख जगी है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है, जहाँ कई पूर्व नक्सलियों ने शिक्षा से जुड़कर समाज की मुख्यधारा में कदम रखा है।
कार्यक्रम के तहत ‘कभी भी, कहीं भी पढ़िए’ की अवधारणा को धरातल पर उतारते हुए उल्लास केंद्रों को घरों, मोहल्लों, जंगलों और पहाड़ों तक विस्तार दिया गया है। मुख्यमंत्री, उनकी धर्मपत्नी, विधानसभा अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री, और कलेक्टरों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों द्वारा उल्लास शपथ दिलाकर जनमानस को साक्षरता से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
राज्यभर में शिक्षार्थियों की आवश्यकता के अनुसार क्यूआर कोड युक्त पाठ्य सामग्री, प्रेरणा गीत, समाचार पाठन, सफल नवसाक्षरों की कहानियाँ, और हाइब्रिड प्रशिक्षण पद्धतियाँ अपनाई गई हैं। स्वयंसेवी शिक्षकों की भूमिका को भी महत्त्व देते हुए उन्हें सभी स्तरों पर चिन्हित कर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। उल्लास कार्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विकसित किया गया है। हाल ही में आयोजित राष्ट्रव्यापी महा परीक्षा अभियान में 4.60 लाख शिक्षार्थियों की सफलता ने इसे देश का अग्रणी राज्य बना दिया है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़, भारत सरकार के उल्लास पोर्टल में थ्स्छ।ज् परीक्षा परिणाम मात्र 15 दिनों में अपलोड करने वाला पहला राज्य बन गया है। प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया, पोस्टर, न्यूजलेटर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और स्थानीय 16 भाषाओं में अनुकूलित उल्लास गीतों का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। प्रदेश में अक्षर सम्मेलन और उल्लास मेला जैसे आयोजन भी हुए हैं।