
धमतरी…. वन्यजीव संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे पशुप्रेमी वैभव जगने ने जिले के कलेक्टर अबिनाश मिश्रा से सौजन्य मुलाकात कर अपनी पुस्तक ‘मैं हाथी हूं’ भेंट स्वरूप प्रदान की। यह पुस्तक हाथियों के संरक्षण, उनके व्यवहार और उनके पारिस्थितिकीय महत्व को जनमानस तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।*
इस अवसर पर कलेक्टर श्री मिश्रा ने श्री जगने से आत्मीय चर्चा करते हुए उनके कार्यों की सराहना की और कहा कि ऐसे प्रयासों से न केवल आमजन में जागरूकता बढ़ती है, बल्कि मानव और वन्यजीवों के बीच समन्वय का रास्ता भी प्रशस्त होता है। उन्होंने हाथी जैसे राष्ट्रीय विरासत पशु के संरक्षण हेतु चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों की जानकारी लेकर पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया।*
वैभव जगने ने बताया कि वे बीते पाँच वर्षों से छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित क्षेत्रों — जैसे धमतरी, गरियाबंद, बालोद और कांकेर — में हाथियों के संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अपने सहयोगी श्री प्रेम शंकर चौबे के साथ मिलकर करीब 100 गांवों में जागरूकता अभियान चलाया है, जिसमें पोस्टर, पम्पलेट और संवाद के माध्यम से स्थानीय लोगों को हाथियों के महत्व और उनके साथ शांतिपूर्वक सहअस्तित्व पर जागरूक किया गया।
मैं हाथी हूं’ पुस्तक में हाथियों के रहवास, उनके व्यवहार, संकटों और उनके संरक्षण से जुड़ी वैज्ञानिक एवं व्यवहारिक जानकारियों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य लोगों में फैली भ्रांतियों को दूर कर उनके मन में हाथियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना है। श्री जगने ने बताया कि यह पुस्तक सभी वन्यजीव प्रेमियों के लिए निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।
उन्होंने बताया कि अवैध जंगल कटाई और मानवीय अतिक्रमण के कारण हाथियों का प्राकृतिक रहवास क्षेत्र लगातार सिमट रहा है, जिससे मानव और हाथियों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि हाथी जैसे प्रमुख पारिस्थितिक जीव विलुप्त हो जाते हैं, तो इसका गंभीर असर पूरे जैवविविधता तंत्र पर पड़ेगा।*
श्री जगने ने अंत में जिलेवासियों, वन विभाग एवं सभी जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि 12 अगस्त को ‘विश्व हाथी दिवस’ को सामूहिक रूप से मनाया जाए। इस अवसर पर जनजागरूकता कार्यक्रम, चित्र प्रदर्शनी, परिचर्चा तथा बच्चों के बीच प्रतियोगिताएं आयोजित कर हाथियों के संरक्षण, उनके पर्यावरणीय योगदान और उनके प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया जा सकता है। सरकार एवं प्रशासन की ओर से ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाना अत्यंत आवश्यक है, जिससे समाज में वन्यजीवों के प्रति सहअस्तित्व और संरक्षण की भावना को बल मिल सके।