
मुकेश कश्यप@ कुरुद। पति के प्रति समर्पण ,आस्था व प्रेम का प्रतीक पर्व करवा चौथ कुरुद नगर सहित अंचल में धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही पर्व के प्रति उत्साह छाया रहा ।पतिव्रता महिलाओं ने घरों में विधिवत निर्जला उपवास रख पूजा- अर्चना करके चांद का दीदार कर अपने-अपने पतियों की लंबी उम्र की दुवाए मांगी। नगर व अंचल में जनप्रतिनिधियों गणमान्य जनो सहित आमजनो ने घरों में इस पर्व को मनाकर सभी को इसकी बधाई देते हुए खुशियां बांटी।
(Kurud ) मान्यतानुसार अक्तूबर को सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत करवा चौथ आता है। हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। करवा चौथ पर निर्जला व्रत और चंद्रमा के दर्शन कर अर्ध्य देने का खास महत्व होता है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं।
शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। (Kurud ) करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी के जैसे दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।