माँघ पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालु आस्था की लगाएंगे डुबकी

कर्णेस्वर मेला 24 फरवरी से
प्रदीप साहू @ नगरी। सिहावा में श्रृंगी ऋषि पर्वत के नीचे महानदी के तट पर ग्राम देउर पारा स्थित है यहाँ महानदी व बालका नदी का संगम होता है माँघ पूर्णिमा पर यहा हज़ारो श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते है। समीप ही 11वी शताब्दी में राजा कर्णराज द्वारा निर्मित शिव मंदिर,राम जानकी मन्दिर ,नन्दी,गणेश मन्दिर,विष्णु के मंदिर है इस स्थान को लोग कर्णेश्वर धाम के नाम से जानते है कर्णेश्वरधाम मे माघ पूर्णिमा के अवसर पर 24 फरवरी से पांच दिवसीय विशाल मेला का आयोजन प्रति वर्ष अनुसार किया जा रहा है। कर्णेश्वर धाम मे सोमवंशी राजाओं द्वारा निर्मित भगवान शिव एवं राम जानकी का मंदिर है।
मंदिर में लगे सोलह पंक्तियों की आयताकर भीतर शिलालेख कांकेर के सोमवंशी राजा कर्णराज के शासनकाल में शक् सम्वत 1114 में उत्कीर्ण कराया गया। शिलालेख संस्कृत भाषा के देवनागरी लिपि में लिखी गयी है।शिलालेख से विदित होता है कि महराज कर्णराज ने अपने वंश की कीर्ति को अमर बनाने के लिए कर्णेश्वर देवहद मे छह मंदिरों का निर्माण किया।एक अपने नि संतान भाई कृष्णराज के नाम, दूसरा मंदिर प्रिय पत्नी भोपालादेवी के नाम निर्मित कराया। कर्णराज ने त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की आराधना कर प्रतिष्ठा किया। कर्णराजद्वारा निर्मित मंदिर मे शिव के अलावा मर्यादा पुरुषोत्तम राम जानकी मंदिर प्रमुख है।
भगवान शिव को बीस वर्ग फुट आयताकार गर्भ गृह में प्रतिष्ठित किया गया ही। गर्भगृह का शीर्ष भाग कलश युक्त है। मंदिर का अग्रभाग मंडप शैली मे बना है, जिसकी छत आठ कोडीय प्रस्तर स्तंभों पर टिक़ी है। मंदिर का पूरा भाग पाषाण निर्मित है।जनश्रुति है कि कांकेर के सोमवंशी राजाओं के पूर्वज जग्गनाथपूरी उड़ीसा के मूल निवासी थे। सोमवंशी राजाओं ने पहले पहल नगरी मे अपनी राजधानी बनायी। असाध्य रोगों के लिये अमृत कुण्ड कर्णेश्वर धाम मे एक प्राचीन अमृतकुण्ड है।किवदंती ही कि इस कुंड के जल के स्नान से कोड जैसे असाध्य रोग ठीक हो जाता था। सोमवंशी राजाओ ने इसे मिट्टी से भर दिया। अमृतकुंड से लगा हुआ छोटा सरोवर मोती तालाब राजा के दो पुत्रियां सोनई-रूपई के नाम से जाना जाता है। सोनई रूपई कांकेर के राजा धर्म देव की पुत्रियाँ थी ।मन्दिर परिसर में विविध देवी देवताओं की प्रतिमा है सोम वन्शीय राजाओ का विजय स्तम्भ है माघपुर्णिमा के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु बालका व महानदी के संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य के भागीदार बनेगे।
लुप्त हो जाती है अस्थियां
बालका व महानदी संगम स्थल से दक्षिण दिशा में महानदी पर पचरी घाट पर स्थित कुण्ड में अस्थियां विसर्जित की जाती है मान्यता है कि यहाँ ढाई पहर में विसर्जित अस्थिया लुप्त हो जाती है।
कर्णेश्वर धाम के विकास में जनभागीदारी बढ़ी है , ट्रस्ट अध्यक्ष विकल गुप्ता ने बताया कि कर्णेश्वर धाम के विकास में शासन की योजनाओं के साथ जनभागीदारी से भी कार्य हो रहे है मन्दिर परिसर में भव्य प्रवेश द्वार,श्रद्धालुओं के लिये डोम, अस्थि विसर्जन घाट में शेड ,तीस लाख रुपये की लागत से सामुदायिक भवन निर्माण से कर्णेश्वर धाम की शोभा बढ़ी है ।
कर्णेश्वर धाम के निकट है गणेशघाट
अनन्त काल मे भगवान श्रृंगी ऋषि के कमण्डल का जल पर्वत के आंतरिक भाग से होकर पहाड़ के नीचे स्थित स्थान में सबसे पहले बहा जिससे महानदी का उदगम हुआ। गोमुख से प्रवाहित होकर बहने वाली नदी की स्थान में मां महामाई विराजित है।यह स्थान गणेश घाट कहलाता है।पूर्व में सिहावा पहाड़ी के जल कुंड मे श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित किया जाने वाला पुष्प, नैवेध बड़ी सरलता से गणेश घाट में उतर जाता था।इस स्थान में भगवान शंकर का वह जलहली है जिसे मर्यादा पुरूषोत्तम राम अपने हाथों स्थापित किये है।इस जलहली को पार करने के कारण ही महानदी का नाम चित्रोत्पला पड़ा।गणेश घाट के निकट ही विराजित है बालगीर बाबा जिनके अगुवान व छिपली पारा के टिकरी वाली के मार्गदर्शन में मेला की परिक्रमा होती है।
मेला में इलाके भर से पारम्परिक रूप से देवी देवताओं का आगमन होता है। बस्तर, उड़ीसा के देवी देवता भी पुन्नी स्नान उपरांत कर्णेश्वर महादेव का दर्शन कर मन्दिर परिसर में माता खम्बेस्वरी से जोहार भेंट कर मड़ाई की परम्परानुसार परिक्रमा करेंगे जिसके तैयारी में प्रशासन व ट्रस्ट जुटा हुआ है संरक्षक कैलास पवार,विधायक अम्बिका मरकाम,ट्रस्ट अध्यक्ष विकल गुप्ता, उपाध्यक्ष राम प्रसाद मरकाम,सचिव ललित शर्मा, कोशाध्यक्ष निकेश ठाकुर,सह सचिव राम भरोसा साहू,कमलेश मिश्रा, नागेन्द्र शुक्ला,शिव कुमार परिहार, रवि दुबे कलम सिंह पवार,रवि ठाकुर,गगन नाहटा,नोहर साहू,छबि ठाकुर,राम लाल नेताम,प्रकाश बेश,मोहन पुजारी,योगेश साहू अमर सिंह पटेल,के एस श्रीमाली,भरत निर्मलकर,कमल डागा,अंजोर निषाद,उत्तम साहू दीपक यदु,सचिन भंसाली, रवि भट्ट, हनी कश्यप,महेंद्र कौशल,प्रताप सुरेशा,मिलेश साहू बबलू गुप्ता,ललित निर्मलकर,अमर सिंह पटेल, प्रदीप जैन,नन्द यादव,सुनील निर्मलकर, होरी लाल पटेल,प्रेम लता नागवंशी,अश्विनी निषाद,के आर बोरघरिया,राजू सोम, ईश्वर जांगड़े,अनिरुद्ध साहू,दुर्गेश साहू,मनोहर मानिकपुरी,देवेन्द्र साहू,,हेमन्त पूरी गोस्वामी,डोमार मिश्रा,अशोक देवांगन,पूनारद जांगड़े ,खम्मन आडिल ,कौशल साहू,परमेश्वर नेताम,देवेन्द्र मिश्रा, प्रीतम गोस्वामी ,प्रकाश सार्वा,राम लाल नेताम, तेज नाथ साहू,राजू सोम ,अशोक देवांगन,पूनारद जांगड़े ,टेश्वर ध्रुव,पंकज ध्रुव आदि जुटे है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
23 फरवरी ,भजन संध्या चंद्रभान यादव व साथी
24 फरवरी नाचा व गम्मत,उमेश निर्मलकर गरियाबंद
25 फरवरी, फुलवारी छतीसगढ़ी कार्यक्रम, अल्का चंद्राकर रायपुर
26 फरवरी, तिहार छतीसगढ़ी कार्यक्रम, विजय चंद्राकर छाती
27 फरवरी, जिला स्तरीय डांस प्रतियोगिता

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