कुरूद…. नगर सहित ग्रामीण अंचल में अक्षय तृतीया का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया।इस अवसर पर छोटे बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ पुतरा पुतरी का विवाह सम्पन्न किया।वही पर्व के अवसर पर घरों में होने वाले रीति रिवाज पूरी सादगी से संपन्न हुआ । पर्व को लेकर एक सप्ताह पूर्व से ही कुरूद बाजार में रौनकता देखी गई। मिट्टी से बने पुतरा पुतरी और पर्व विशेष खिलौने की विशेष बिक्री देखी गई।साथ ही पर्व से जुड़े श्रृंगार सामान की भी जमकर खरीददारी की गई।
इस बार पर्व में विशेष रौनकता देखी गई। बच्चों ने पुतरा पुतरी की शादी के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को विशेष आमंत्रण दिया । वहीं घरों मे विवाह के दौरान की जाने वाली सजावट हुबहू देखी गई। मड़वा और आकर्षण से भरपूर दिवाल पर इस विवाह की पेंटिंग नजर आई। इसी तरह एक दिन पूर्ण यानी मंगलवार को पुतरा पुतरी का तेल हल्दी रस्म अदा की गई।वही रात में पारंपरिक गड़वा बाजा के साथ मायन नाचा में सभी लोग बहुत झूमे।इसी तरह बुधवार को सुबह बारात निकाली गई और शाम को विधिवत भांवर की रस्म अदा की गई।यह विवाह देखकर लोगो को वास्तविक विवाह की झलक मिली।सोशल मीडिया के जमाने में सभी लोगो ने अपने अपने घरों में मनाए गए पुतरा पुतरी विवाह का फोटो विडियो शेयर किया। छोटे बच्चो में इसे लेकर काफी उत्साह देखा गया।
विदित है कि हमारे प्रदेश में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है।प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। अक्षय तृतीया का दिन अपने आप में अबूझ स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। इस दिन शुभ कार्यों को करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन को आमतौर पर आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है।
अक्षय का अर्थ है अविनाशी जो हमेशा बना रहता है और तृतीया का अर्थ है शुक्ल पक्ष का तीसरा दिन, ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन शुभ कार्य करते हैं, वह हमेशा के लिए बना रहता है और कभी खत्म नहीं होता। इस दिन लोग नए व्यापारिक उपक्रम, नौकरी, गृह प्रवेश शुरू करते हैं और धार्मिक कार्य करते हैं। इस दिन सोना, चांदी और आभूषण खरीदने के लिए शुभ माना जाता है और यह भी माना जाता है कि ये चीजें उनके जीवन में सफलता, सौभाग्य और समृद्धि लाती हैं।
यह दिन नई शुरुआत के लिए, विशेष रूप से विवाह, सगाई , गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ और अन्य निवेशों के लिए शुभ माना जाता है।अक्षय तृतीया को सनातन संस्कृति में एक शुभ दिन माना जाता है और यह समृद्धि की अनंत बहुतायत का प्रतिनिधित्व करता है। देवी-देवताओं को प्रार्थना अर्पित करना भी पूजा का हिस्सा है। इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है, विशेष पूजा की जाती है, इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।इस दिन दान-सेवा इत्यादि करने से भी अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है अतः इस दिन काफी लोग मंदिरों व गौशाला में दान पुण्य करते हैं।
