
कुरुद। ओबीसी संयोजन समिति छत्तीसगढ़ ने आज महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती के अवसर पर कुरूद के महात्मा ज्योतिबा फुले मूर्ति के समक्ष माल्यार्पण कर उनके महान क्रांतिकारी कार्यों को याद करते हुए अपनी संकल्प को दोहराया कि उनके द्वारा चलाई गई शिक्षा क्रांति को ओबीसी संयोजन समिति छत्तीसगढ़ जन – जन तक पहुंचाएगी | इस अवसर पर अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय महासचिव एवं समिति के संस्थापक अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू ने बताया कि अट्ठारहवीं शताब्दी मे जब देश मे छुआछूत, जात – पात, पूंजीवाद, सामंतवाद अपने चरम सीमा पर था ऊंच-नीच की खाई इतनी गहरी थी की एक वर्ग विशेष के द्वारा दूसरे वर्ग के लोगों को शिक्षा – संपत्ति जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया था, ऐसे समय में एक सामान्य परिवार में 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के पुणे में जन्मे शिक्षा के अग्रदूत महान क्रांतिकारी महात्मा ज्योतिबा फुले ने इस अमानवीय व्यवस्था को दूर करने के लिए संघर्ष का शंखनाद करते हुए शिक्षा क्रांति का बिगुल फूंक दिया जिसके परिणाम स्वरूप ही आज बहुसंख्यक ओबीसी समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता आई है , उनके सामाजिक सुधार के योगदान को देखते हुए ब्रिटिश गवर्नमेंट ने उन्हें 1888 की एक जनसभा में “महात्मा” की उपाधि दी।बाल विवाह पर रोक, विधवा विवाह को पुनः चालू करने के लिए उन्होंने शिक्षा की क्रांति से समग्र सामाजिक जागरूकता का अभियान चलाया था जिससे पूंजीवादी सामंती शासन व्यवस्था की जड़े उखड़ने लगी थी ऐसे ही महा मानवों के बताए हुए संघर्षों को अपने जीवन में उतार कर ही भेदभाव रहित समाज का निर्माण किया जा सकता है | इस कार्यक्रम में ओबीसी ओ.बी.सी. संयोजन समिति के संस्थापक एड. शत्रुहन सिंह राष्ट्रीय प्रचारक टिकेश्वर/अभिनव सिंह,कर्मचारी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शैलेंद्र साहू धमतरी जिला के जिला अध्यक्ष चोवा राम साहू जी जिला प्रभारी समारू सिन्हा और पटेल समाज के अनिल कमलवंशी, सतवंत कुमार आदि शामिल हुए।