
कुरूद…. भाई और बहनों के बीच विश्वास और कभी न टूटने वाली आस्था का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन कुरूद सहित ग्रामीण अंचल में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है । सुबह से ही इस पर्व को लेकर सभी वर्गो में विशेष उत्साह नजर आया। इसके साथ ही पर्व के चलते कुरूद बाजार गुलजार रहा।जहां मिठाईयां,गिफ्ट और राखियां खूब बिकीं।
घरों में पर्व को लेकर विशेष तैयारी की गई थी । शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाइयों को विधिवत तिलक लगाते हुए आरती उताकर रक्षासूत्र बांधते हुए उनका मुंह मीठा कर पर्व की खुशियां बांटी।छोटे बच्चों में पर्व का एक अलग ही उत्साह रहा।उन्होंने विश्वास और आस्था के प्रतीक धागे को बांधकर इस उत्सव की खुशियां बिखेरी।बेटियो ने हाथों में मनभावन मेहंदी लगाकर और घरों में रंगोली सजाकर पर्व की खुशियों में चार चांद लगा दिया।
भारतीय धर्म-संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बाँधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बाँधती है, जिसे राखी कहते हैं।रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत-जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी महँगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षाबन्धन के दिन बहने भगवान् से अपने भाईयों की उन्नति के लिए प्रार्थना करती हैं।सामान्यतः बहनें ही भाइयों को राखी बाँधती हैं, परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बन्धियों भी बाँधी जाती है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है। यह त्यौहार हमारे विश्वास को ,हमारे रिश्तों की पवित्रता को हमें समझाता है।इस पर्व से हम भाई बहन के रिश्तों के मर्म को समझते है और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते है।