
रायपुर…. पॉम की खेती प्रदेश के किसानों के लिए स्थायी आय का जरिया बन रही हैं। राज्य सरकार किसानों को अतिरिक्त आमदनी के साधन उपलब्ध कराने पॉम सहित अन्य उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दे रही है। वहीं पॉम ऑयल की मांग और उत्पादकता को ध्यान में रखते हुए पॉम की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।
इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पाम मिशन के तहत साझा अभियान शुरू किया है। जिसके तहत 2 हजार 682 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पॉम पौधों का रोपण हो चुका है। पॉम ऑयल सबसे अधिक उपयोग में लाये जाने वाला वनस्पति तेल है। इसका उपयोग बिस्किट, चॉकलेट, मैगी, स्नैक्स और गैर खाद्य जैसे साबुन, क्रीम, डिटर्जेंट, बायोफ्यूल आदि उत्पादों में होता हैं। पॉम के कृषकों को प्रोत्साहन हेतु केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा एक-एक लाख रूपए अनुदान भी दिया जा रहा है। वहीं किसानांे को निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व एवं कृषि मंत्री रामविचार नेताम के मार्गदर्शन में राज्य सरकार के किसानों कीे आमदनी बढ़ाने के लिए उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने प्रदेश के 17 जिलों में पॉम की खेती के लिए प्रयास किए है। राज्य में प्रमुख रूप से बस्तर (जगदलपुर), कोण्डागांव, कांकेर, सुकमा नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, महासमंुद, रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, जाजगीर-चापा, दुर्ग, बेमेतरा, जशपुर, सरगुजा, कोरबा और बिलासपुर जिले में पाम की खेती की जा रही है। राज्य में विगत चार वर्ष में 1 हजार 150 कृषकों के लगभग 1 हजार 600 हेक्टेयर रकबे में पॉम के पौधों का रोपण किया गया है। वहीं इस वर्ष 802 किसानों के 1 हजार 089 हेक्टेयर रकबे में पॉम का रोपण कराया जा चुका हैं।